Mysore royal family: कर्नाटक के चामराजनगर जिले के सिद्धयानपुरा गांव में 4500 एकड़ जमीन को लेकर चल रहा विवाद एक बार फिर सुर्खियों में है. यह मामला 1951 में मैसूर के तत्कालीन महाराजा और भारत सरकार के बीच हुए समझौते से जुड़ा है जिसके तहत यह जमीन मैसूर के शाही परिवार को दी गई थी. अब इसी मामले में पूर्ववर्ती मैसूर राजघराने की सदस्य प्रमोदा देवी वाडियार ने इस जमीन पर अपना दावा जताया जिसके बाद ग्रामीणों में बेचैनी फैल गई. लेकिन प्रमोदा देवी ने बाद में ग्रामीणों से साफ कहा कि उन्हें घबराने की जरूरत नहीं है.
राजस्व गांव घोषित करने की प्रक्रिया.. दरअसल हाल में यह विवाद तब शुरू हुआ जब राज्य सरकार ने सिद्धयानपुरा को राजस्व गांव घोषित करने की प्रक्रिया शुरू की. प्रमोदा देवी वाडियार ने सोमवार को कहा कि सिद्धयानपुरा के लोगों को डरने की कोई जरूरत नहीं है. भले ही जमीन का रिकॉर्ड हमारे नाम पर हो लेकिन हम कोई ऐसा कदम नहीं उठाएंगे जिससे ग्रामीणों को परेशानी हो. उन्होंने क्लियर किया कि 1951 के समझौते के अनुसार यह 4500 एकड़ जमीन मैसूर शाही परिवार की है.
लेकिन ग्रामीणों का दावा है कि तत्कालीन महाराजा ने यह जमीन उन्हें उपहार में दी थी. इस दावे पर प्रमोदा देवी ने कहा कि अगर महाराजा ने जमीन दी थी तो क्या हमें उसे वापस लेने की जरूरत नहीं है. हम ऐसा नहीं करेंगे. इससे पहले सरकार ने सिद्धयानपुरा को राजस्व गांव बनाने की दिशा में कदम उठाया. इस प्रक्रिया के दौरान प्रमोदा देवी ने चामराजनगर के उपायुक्त और तहसीलदार को पत्र लिखकर अपनी आपत्ति जताई और जमीन पर शाही परिवार के हक की बात कही.
स्पष्ट कर देती हूं कि उनकी जमीन सुरक्षित है
इसके बाद ग्रामीणों ने अधिकारी से संपर्क कर अपनी चिंता जाहिर की. ग्रामीणों का कहना है कि वे पीढ़ियों से इस जमीन पर खेती करते आ रहे हैं और इसे उपहार में मिलने का दावा करते हैं. इस भ्रम को दूर करने के लिए प्रमोदा देवी ने कहा कि मुझे नहीं पता कि ग्रामीणों में डर क्यों फैला. मैं स्पष्ट कर देती हूं कि उनकी जमीन सुरक्षित है.
हालांकि प्रमोदा देवी ने यह भी शिकायत की कि जिला प्रशासन ने उन्हें जमीन की स्थिति के बारे में कोई क्लियर जानकारी या दस्तावेज नहीं दिए. उन्होंने कहा कि मैं शहर से बाहर थी और मुझे इस विवाद की जानकारी तब हुई जब मैंने अखबारों में पढ़ा. प्रशासन को चाहिए था कि वे पहले हमें जमीन की स्थिति बताते. उन्होंने कहा कि अगर जमीन उनके नाम पर भी आती है तो वे ग्रामीणों के लिए कोई परेशानी नहीं खड़ी करेंगी. एजेंसी इनपुट
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